शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

अंधेरा और सत्य


जिस प्रकार जीवन का एकमात्र सच मृत्यु है, ठीक उसी प्रकार संसार का एकमात्र सत्य, अंधेरा (तम) है| हमने हमेशा यही सुना, यही जाना कि यह दुनिया प्रकाश की है| परंतु, यह तथ्य निराधार है|  प्रकाश के अभाव से अंधेरा होता है, ये सभी जानते हैं; परंतु अंधेरे का अभाव? सोच से भी परे है| प्रकाश को तो फिर भी स्त्रोत की दरकार होती है, पर अंधेरे को? नहीं| माना अंधेरा कमज़ोर होता है और प्रकाश की एक छोटी सी किरण भी अंधेरे को चीरने के लिए पर्याप्त है| फिर भी यह संसार अंधेरे का है, इसमें दो-राय रखना निराधार प्रतीत होता है|
 अंधेरे के इस गुणगान से मेरा यह तत्पर्य बुराइयों का प्रचार करना कदापि नही है, क्यूंकी अंधेरे का मतलब बुराई नहीं, अस्त्य नहीं| प्राचीन काल से ही बुद्धिजीवी अंधेरे को असत्य और बुराइयों का पर्याय मानते आए हैं, परंतु मेरी नज़र मे यह ग़लत और भ्रमित करने वाली बात है| ऐसा इसलिए क्यूंकी मेरी राय में अंधेरा एक सत्य है, शायद प्रकाश से भी बड़ा|

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